नन्हें नन्हें क़दमों से
तुम जो ठुमक ठुमक कर चलते हो
यूँ आड़ी -टेढ़ी नज़रों से
न जाने क्या खोजते हो
डगमग डगमग सी चाल से तुम
जब इधर उधर लहराते हो
मन-मोहक सी इस अदा से तुम
दिल कितनो का बहलाते हो
टूटे-फूटे शब्दों में तुम जो
अनर्गल ही बतियाते हो
किसी भी भाषा से बेहतर
अपनी बात यूँ ही कह जाते हो
तुम जो ठुमक ठुमक कर चलते हो…
चंचल, चपल, चतुर
चक्षुओं से जो तुम चहुंओर चहकते हो
मासूमियत के इस छद्म में तुम
जीवन का एक स्वछंद भाव सिखाते हो
हर पल में बस उस पल में रहना
हर ख़ुशी पर खिलखिला कर हंसना
और हर ग़म से अगले ही पल में उबरना
मानो बस यही एक पल था, और है
और इसी में हर रस से मन भर लेना
अपने अतरंगी भावों से तुम
हर पल मानो ये कह जाते हो
तुम जो ठुमक ठुमक कर चलते हो
गोल मोटी निश्छल सी आँखों से तुम
जब शिकायत से यूँ देखते हो
कोई हल्की सी चोट या माथे की शिकन ही हो
या फिर जो तुमने सहे वो सारे सितम ही हों
अपनी एक बस आह से तुम
दिल को मेरे कैसे द्रवित कर जाते हो
प्यार इश्क़ मोहब्बत का एक
अलग ही उत्कृष्ट अर्थ समझाते हो
खुद ही को जो एक बच्चा सा महसूस करे जो
उसको भी एक पल में मानो बड़ा कर जाते हो
तुम जो ठुमक ठुमक कर चलते हो
हर दिन एक नयी शरारत
हर पल एक नयी अठखेली
कौतूहल भरी तुम्हारी नज़रों से देखो
तो लगती है दुनिया नयी नवेली
हर रिश्ते में हर किस्से में
जीवन के हर एक हिस्से में
बनकर एक नयी उम्मीद
कैसे हर दिन को एक त्यौहार में बदलते हो
तुम जो ठुमक ठुमक कर चलते हो…