एक प्यार कुछ ऐसा हो

एक प्यार  कुछ ऐसा हो

जिसमे न सही होने की ज़रूरत

न गलत होने की परवाह हो

जो है दिल में मेरे बात

वो कह दूँ खुल के बेबाक

मीठे प्यार भरे शब्दों में

या कभी तल्ख़ कुछ लम्हों में

जिसमे न हो बराबरी न जीतने की होड़

न मन में न बाहर  से हो कोई शोर

एक दूसरे के लिए बस सब करने का ज़ोर  

सम्मान, एहसास और स्नेह का मेल अनोखा हो

एक प्यार ऐसा हो

एक प्यार कुछ ऐसा हो

प्रेम और विश्वास की नींव पर

समर्पण और सेवा की छत हो

खुद के गर्व से ऊपर उसके

स्वाभिमान और आत्मसम्मान की नब्ज़ हो

मधुरता लम्हों में

और कोमलता हो शब्दों में

हर पल आँखों में एक सरलता सी हो

कौन सही और कौन नहीं के आगे  

प्यार के लिए जो  सही वो सर्वोपरि हो

एक प्यार ऐसा हो …

एक  प्यार कुछ ऐसा हो

विचारों और व्यक्तित्व के भेदों  में

संवाद और विवाद की स्वछंदता हो

शालीनता और नेह की बंधनों में सीमित  

अभिव्यक्ति के अधिकार से ज़्यादा  

अपने तर्क और विचार से आगे

गरिमा की मद्धिम रेखा से पीछे

प्यार की कोमल ध्वनि से कम

विचार और आचार के क्लेश में

प्यार विचार से सर्वोपरि हो

एक प्यार ऐसा हो…

एक प्यार कुछ ऐसा हो। ..

खुश्गर्मियों और जश्न के आगे भी  

जिसमें ज़िम्मेदारियों की स्वीकार्यता हो

तंज या तनाव से नहीं

उचित और अनुचित की परिभाषा से परे

सिर्फ प्यार और ख़ुशी की परिकाष्ठा के लिए  

होठों पर हंसी और मन में मुस्कान हो

वह प्यार जो दिल में ठहराव और मानस में आराम दे

जिसमे इश्क़ का जूनून हो पर मातृत्व का सुकून हो

प्यार जो स्व से परे सिर्फ ख़ुशी और हंसी का एक जरिया सा हो

एक प्यार कुछ ऐसा सा हो

प्यार कुछ ऐसा सा हो

जो रिश्ते के बंधन में बंधकर

दायित्वों के निर्वाह में उलझकर

नए रंगों में ढलकर

त्याग और समर्पण से निखर कर

गहराइयों से आये और उभर कर

तपती  धूप  में ठंडी हवा सा हो…

एक प्यार कुछ ऐसा सा हो..

2 thoughts on “एक प्यार कुछ ऐसा हो

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