Kartik

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इन मासूम सी आँखों में

नव जीवन के अंकुरित होते सपनों की चमक कुछ यूँ बिखरी सी है

जैसे सूर्योदय की पहली किरण, और रात के स्याह पटल पर लहराती सुबह की आहट

जैसे शीत लहर के बाद की पहली धूप से मिलती अंतः को गर्माहट

जैसे सूखी धूल-धूसरित धरती पर

मेघ की पहली गर्जन से जीव जंतुओं की सुगबुगाहट

 

इन सुर्ख गुलाबी होठों पे

उस चमक से खिलती जो मीठी सी मुस्कान है

निश्चलता और सरलता से भरी, दुनिया के विकारों से दूर

भविष्य के सुन्दर पलों की कल्पना व अनुमान है

इस नटखट सी हंसी में

मेरे बचपन की कुछ झलक, तो कभी कुछ आज के अरमान हैं

वो एक नन्हा सा खिलौना , तो कभी इश्वर का वरदान है

इस एक हंसी और किलकारी पर, मेरा सब कुछ बलिदान है

 

इन नन्हे से हाथों और खुलती बंद होती मुट्ठियों में

एक पिटारा है, मस्ती और अठखेलियों का

मंत्र-मुग्ध सी और निश्चिंत सी बतकहियों का

शब्दों का आकार लेने की कोशिश में

मधुर संगीत सी अनर्गल निकलती ध्वनियों का

मेरे और हम सबके इंतज़ार में बैठी, असीमित अपार खुशियों का

 

कार्तिक में कार्तिक का आगमन

सहन कर रोग और प्रदूषण का प्रकोप

ठंडी शुद्ध हवा के झोंके के सुकून सा आया

प्रार्थना के संगीत सा, हमारा श्लोक

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